वॉशिंगटन1 घंटे पहले
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अमेरिका के नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर जेक सुलिवन ने मिडिल ईस्ट में हमले बढ़ाने की तरफ इशारा किया है। (फाइल)
आने वाले दिनों में मिडिल ईस्ट की जंग का दायरा बढ़ने का खतरा है। दरअसल, अमेरिका ने यमन के हूती विद्रोहियों पर लगातार हमलों के बाद साफ कर दिया है कि हूती विद्रोहियों को पनाह देने वालों को भी नहीं बख्शा जाएगा।
अमेरिकी नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर जेक सुलिवन ने कहा- यमन में हमलों को आखिरी न समझा जाए। मेरे हिसाब से यह शुरुआत है, अंत नहीं है। अमेरिका अपने लोगों पर कोई खतरा नहीं आने देगा।
ईरान का सीधा नाम नहीं लिया
- ब्रिटिश अखबार ‘सन’ की रिपोर्ट के मुताबिक, सुलिवन ने यह बात प्रेसिडेंट जो बाइडेन के हवाले से कही। सुलिवन से यह पूछा गया था कि क्या अमेरिकी सेना हूती विद्रोहियों को पनाह और मदद देने वाले ईरान को भी टारगेट करेगी।
- इसके जवाब में अमेरिकी एनएसए ने कहा- मैं सिर्फ इतना कहूंगा कि ये अंत नहीं है, बल्कि शुरुआत है। हम किसी खतरे को पनपने नहीं देंगे। सुलिवन का यह बयान इसलिए भी अहम है, क्योंकि रविवार को ईरान ने धमकी दी थी कि अमेरिका लाल सागर में मौजूद किसी ईरान के किसी शिप को निशाना न बनाए। इसके फौरन बाद अमेरिका ने यमन में हूती विद्रोहियों के कई ठिकानों को निशाना बनाया। इसमें ब्रिटिश नेवी भी उसके साथ थी।
- ईरान ने कहा था- हमारे दो कार्गो शिप लाल सागर में हैं। इन पर हमारे कमांडो मौजूद हैं। इन पर हमला न किया जाए। इस बारे में पूछे गए सवाल पर सुलिवन ने कहा- हमारे राष्ट्रपति ने कहा है कि हर विकल्प खुला है। अमेरिकी सरकार अपने लोगों की सुरक्षा के लिए किसी भी हद तक जाएगी।
रविवार को हूती विद्रोहियों पर हमले करने के लिए उड़ान भरता अमेरिकी जेट।
हूती विद्रोहियों पर फिर अटैक
- अमेरिका और ब्रिटेन की सेना ने साथ मिलकर 3 फरवरी की देर रात यमन पर हमला किया। अमेरिकी एयरफोर्स के हवाले से बताया गया कि हमले 36 ठिकानों पर किए गए। इनमें हथियार रखने की जगह, मिसाइल, एयर डिफेंस सिस्टम और रडार से जुड़ी साइट्स शामिल हैं।
- हूती विद्रोही लगातार लाल सागर में जहाजों को निशाना बना रहे हैं। इसके खिलाफ अमेरिका और ब्रिटेन कार्रवाई कर रहे हैं। दोनों देशों का यह तीसरा जॉइंट ऑपरेशन है। इसके पहले अमेरिका और ब्रिटेन ने 28 जनवरी और 11 जनवरी को यमन पर हमला किया था। वहीं, 11 जनवरी से अब तक अमेरिका 9 बार यमन में हूती विद्रोहियों के ठिकानों को निशाना बना चुका है।
- अमेरिकी सेनाओं ने लगातार दूसरे दिन खाड़ी देश पर हमला किया। 3 जनवरी को अमेरिका ने इराक-सीरिया में 85 ईरानी ठिकानों को तबाह किया था। इन हमलों में इराक के 16 और सीरिया में 18 लोगों की मौत हुई। इराक ने दावा किया कि मरने वालों में आम नागरिक भी शामिल हैं। सीरियाई मीडिया के मुताबिक, अमेरिका स्ट्राइक में नागरिकों और सैनिकों की मौत हुई।
- यमन में किए गए हमलों में अमेरिका और ब्रिटेन की सेना के साथ ऑस्ट्रेलिया, बहरीन, कनाडा और नीदरलैंड्स की सेनाएं भी थीं। यमन में यह अटैक विमानों, जहाजों और एक पनडुब्बी के जरिए यमन की राजधानी सना, सदा और धमार शहरों के साथ-साथ होदेइदाह प्रांत में किए गए।
तस्वीर लाल सागर में दो हफ्ते पहले अमेरका और ब्रिटेन के एक ऑपरेशन के दौरान की है। तब अमेरिकी शिप ने हूती विद्रोहियों के छोटे शिप को घेर लिया था।
ईरान के एटमी ठिकानों पर हमले की सलाह
- इसी हफ्ते अमेरिकी डिफेंस एक्सपर्ट और पूर्व डिप्लोमैट मार्क वालेस ने कहा था कि ईरान पलक झपकते ही न्यूक्लियर हथियार बना सकता है। उनके मुताबिक- ईरान को रोकने का सबसे अच्छा तरीका यही है कि अब बिना वक्त गंवाए वेस्टर्न वर्ल्ड उसके एटमी ठिकानों को तबाह कर दे।
- ब्रिटिश अखबार ‘सन’ को दिए इंटरव्यू में वालेस ने माना कि मिडिल ईस्ट में जो हालात बन रहे हैं, वो तीसरे विश्व युद्ध की तरफ इशारा कर रहे हैं।
- एक सवाल के जवाब में वालेस ने कहा था- दुनिया किसी भी वक्त खतरे में पड़ सकती है। अब तक के हालात पर नजर डालें तो साफ हो जाता है कि हम ईरान के खिलाफ कोई ऐसा कदम नहीं उठा सके, जो उसे एटमी हथियार बनाने से रोक सके।
- वालेस UN में अमेरिकी एंबेसैडर रह चुके हैं। इसके अलावा वो यूनाइटेड अगेंस्ट न्यूक्लियर ईरान (UANI) के CEO भी हैं। उन्होंने कहा- दुनिया के पास अब भी वक्त है कि वो नींद से जागे और ईरान के एटमी ठिकानों को फौरन तबाह करे। इसके लिए पहल वेस्टर्न वर्ल्ड को ही करनी होगी।
- एक सवाल के जवाब में वालेस ने कहा- UANI का पहला सिद्धांत ही यह है कि वो हर उस देश को रोके जो आतंकवाद का समर्थन करता है और ऐसे गुटों को हर तरह की मदद देता है। अगर ये काम अब भी नहीं किया गया तो गंभीर नतीजे होंगे।