Pakistan Election 2024; Bilawal Bhutto vs Nawaz Sharif PMLN | Imran Khan Party | नवाज PM बने तो मैं फॉरेन मिनिस्टर नहीं बनूंगा: ​​​​​​​बिलावल बोले- पुराने तरह की सियासत पसंद नहीं, मुल्क में नफरत फैलाई जा रही है


इस्लामाबाद4 मिनट पहले

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रविवार को एक रैली के दौरान बिलावल भुट्टो। - Dainik Bhaskar

रविवार को एक रैली के दौरान बिलावल भुट्टो।

पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री और पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (PPP) के चेयरमैन बिलावल भुट्टो ने कहा है कि अगर नवाज शरीफ फिर प्रधानमंत्री बनते हैं तो वो उनकी सरकार में शामिल नहीं होंगे और न ही फिर फॉरेन मिनिस्टर बनेंगे।

एक इंटरव्यू में बिलावल ने कहा- मैं फिर उसी पुरानी सियासत का हिस्सा नहीं बनना चाहता। हमारे यहां की दोनों पार्टियां (नवाज की PMLN और इमरान खान की PTI) सिर्फ नफरत फैला रही हैं। मुल्क को इसी से तो बचाना मेरा मिशन है।

नवाज की जीत की तरफ इशारा

  • बिलावल की बातों से ऐसा लगता है कि उन्हें ये अंदाजा हो चुका है कि 8 फरवरी को होने वाले चुनाव में नवाज शरीफ की पार्टी पीएमएल-एन ही जीतेगी। उन्होंने कहा- केयरटेकर सरकार और एडमिनिस्ट्रेशन इस वक्त नवाज शरीफ के साथ हैं। हम अपनी दम पर चुनाव लड़ रहे हैं। इसलिए मैं कहना चाहता हूं कि अगर नवाज फिर प्रधानमंत्री बनते हैं तो मैं उनकी सरकार में फॉरेन मिनिस्टर नहीं बनूंगा।
  • पिछले साल पाकिस्तान में 13 दलों की पाकिस्तान डेमोक्रेटिक फ्रंट (PDM) सरकार थी। नवाज के भाई शाहबाज शरीफ इस सरकार में प्रधानमंत्री थे और बिलावल विदेश मंत्री थे। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में कहा जा रहा है कि चुनाव के बाद बिलावल की पार्टी नवाज से हाथ मिलाएगी और उसके सीनियर लीडर उस सरकार में मंत्री बनेंगे। बिलावल इससे इनकार कर रहे हैं।
  • एक सवाल के जवाब में बिलावल ने कहा- पाकिस्तान में फिर बांटने और नफरत की सियासत हो रही है। दोनों बड़ी पार्टियां यही कर रही हैं। मैं इस तरह की पुरानी सियासत को पसंद नहीं करता। यही वजह है कि मैं इन लोगों के साथ नहीं जाने की बात कह रहा हूं।
मां बेनजीर और पिता आसिफ अली जरदारी के साथ बिलावल भुट्टो। (फाइल)

मां बेनजीर और पिता आसिफ अली जरदारी के साथ बिलावल भुट्टो। (फाइल)

विरासत में मिली सियासत

  • सितंबर 1988 में बिलावल भुट्टो जिस परिवार में पैदा हुए, उससे ये तय हो गया था कि वो पाकिस्तान की सियासत से अनछुए नहीं रह सकेंगे। बिलावल पाकिस्तान के आम चुनावों से लगभग दो महीने पहले 21 सितंबर 1988 को पैदा हुए थे, इस चुनाव में पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी को जीत हासिल हुई थी।
  • जब उनकी मां बेनजीर ने प्रधानमंत्री पद की शपथ ली तब बिलावल लगभग 3 महीने के थे। बेनजीर न सिर्फ पाकिस्तान बल्कि पूरे मुस्लिम जगत की पहली महिला प्रधानमंत्री थीं। उनके नाना जुल्फिकार अली भुट्टो पहले पाकिस्तान के राष्ट्रपति और फिर प्रधानमंत्री रह चुके थे।
  • उनके पिता आसिफ अली जरदारी भी पाकिस्तानी राजनीति के जाने-माने चेहरे थे। हालांकि, बिलावल की मां और नाना की तुलना में आसिफ अली जरदारी की छवि ज्यादा मजबूत नहीं थी। बिलावल जब 2 साल के थे तो जरदारी को जेल जाना पड़ा था। उन पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे। जरदारी पाकिस्तान में मिस्टर 10 परसेंट के नाम से कुख्यात थे।
  • उन पर आरोप थे कि उन्होंने अपनी पत्नी के प्रधानमंत्री बनने का फायदा उठाकर हर प्रोजेक्ट में 10 परसेंट का कमीशन लिया। 1988 से 2007 तक जरदारी ने 14 साल पाकिस्तान की जेल में बिताए। मतलब ये कि बिलावल के बचपन के ज्यादातर वक्त उनके पिता जेल में थे।
  • बिलावल ने अपना ज्यादातर बचपन लंदन और दुबई में बिताया था। मां की मौत और अचानक पार्टी में इतने अहम पद पर बिठाए जाने के बावजूद बिलावल शुरुआत में राजनीति में एक्टिव नहीं रहे। वो हिस्ट्री में डिग्री हासिल करने के लिए ऑक्सफोर्ड युनिवर्सिटी लौट गए।
  • 2010 में वो वापस पाकिस्तान लौटे तो उनके पिता आसिफ और मुल्क के प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी भ्रष्टाचार के आरोपों में घिरे हुए थे। गिलानी को 2 साल में ही कुर्सी छोड़नी पड़ी थी।
  • 2 साल तक बिलावल भुट्टो पाकिस्तान में रहे, हालांकि इस वक्त भी वो पार्टी के कार्यक्रमों तक सीमित थे। उनकी ऑफिशियल एंट्री बेनजीर की 5वीं बरसी के दिन 27 दिसंबर 2012 को हुई। पाकिस्तान में आम चुनाव का मौका था। बिलावल को उनके पिता की अगुआई में एक रैली में पाकिस्तान की आवाम के सामने संबोधित करने के लिए लाया गया।
बिलावल भुट्टो पिता आसिफ अली जरदारी और पाकिस्तान की पूर्व विदेश राज्य मंत्री हिना रब्बानी खार के साथ। (फाइल)

बिलावल भुट्टो पिता आसिफ अली जरदारी और पाकिस्तान की पूर्व विदेश राज्य मंत्री हिना रब्बानी खार के साथ। (फाइल)

मां की बरसी में भी शामिल नहीं हुए थे

  • पिता के साए में सियासत की शुरुआत करने वाले बिलावल को 2014 में बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ा। बिलावल के उनके पिता आसिफ अली जरदारी से मतभेद बढ़ने लगे। दोनों के मनमुटाव से पार्टी दो हिस्सों में बंटने लगी। बिलावल के समर्थकों को भुट्टो कॉमरेड्स और उनके पिता के समर्थकों को जरदारी के वफादार कहा जाने लगा।
  • दोनों ही अपनी जिद्द से पीछे हटने को तैयार नहीं थे। हालात ये हो गए कि बिलावल अपनी मां की सातवीं बरसी के कार्यक्रम तक में नहीं पहुंचे थे। बताया गया कि दोनों के बीच टिकट बंटवारे और पार्टी को चलाने के तरीकों को लेकर मतभेद थे। एक वक्त पर तो जरदारी ने बिलावल को साइडलाइन करने तक का फैसला कर लिया था।
  • बिलावल अपने भाषणों में सीधे विपक्षी पार्टियों पर तंज कसते थे, ये बात जोड़-तोड़ की राजनीति करने वाले उनके पिता को नहीं जंचती थी। वो चाहते थे कि बिलावल अपने भाषणों में नरमी बरतें। बाद में परिवार के दखल के बाद आसिफ अली जरदारी ने बिलावल से सुलह की थी।
  • इमरान खान के तख्तापलट के बाद बिलावल को अप्रैल 2022 में मंत्रिमंडल में शामिल किया गया और वो पाकिस्तान के सबसे कम उम्र के विदेश मंत्री बने। इसके बाद उन्होंने लगातार बचकाने बयान देने शुरू कर दिए। बिलावल भुट्टो ने दिसंबर 2022 में PM मोदी पर टिप्पणी की थी।

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