Bangladesh PM Sheikh Hasina shed tears | बांग्लादेश में बर्बाद मेट्रो की हालत देख रोईं शेख हसीना: लोग बोलें- प्रधानमंत्री घड़ियाली आंसू बहा रहीं, छात्रों की मौत पर वे नहीं रोईं


6 मिनट पहले

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प्रधानमंत्री शेख हसीना गुरुवार को मेट्रो स्टेशन का जायजा लेने पहुंची थीं। इसे प्रदर्शनकारियों ने जला दिया था। - Dainik Bhaskar

प्रधानमंत्री शेख हसीना गुरुवार को मेट्रो स्टेशन का जायजा लेने पहुंची थीं। इसे प्रदर्शनकारियों ने जला दिया था।

बांग्लादेश की पीएम शेख हसीना गुरुवार को आरक्षण विरोधी हिंसक प्रदर्शन के बाद हुए नुकसान को देखने के लिए मीरपुर-10 मेट्रो स्टेशन का दौरा करने पहुंची। इस दौरान मेट्रो स्टेशन में हुई तोड़-फोड़ को देखकर शेख हसीना के आंसू निकल पड़े। शेख हसीना अपने आंसुओं को टिशू पेपर से पोछतें हुए नजर आईं।

मेट्रो स्टेशन की हालत देखकर हसीना ने कहा कि आम लोगों की सुविधा के लिए बनाई गई व्यवस्था के साथ कोई कैसे तोड़फोड़ कर सकता है। ऐसी कौन सी मानसिकता है जो उन्हें ऐसे काम कराती है। PM ने आगे कहा कि ढाका शहर जाम से परेशान रहता था। मेट्रो बनी तो लोगों को राहत मिली लेकिन अब इसे बर्बाद कर दिया गया। मैं इसे बर्दास्त नहीं कर सकती।

उनकी इस बयान से लोगों का गुस्सा फिर भड़क गया। शेख हसीना की रोते हुए तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है जिसमें उन्हें ट्रोल किया जा रहा है।

पीएम शेख हसीना टिशू पेपर से आंसू पोछते दिखीं।

पीएम शेख हसीना टिशू पेपर से आंसू पोछते दिखीं।

लोग बोले- शेख हसीना ने मरे लोगों के लिए आंसू नहीं बहाया
सोशल मीडिया पर लोग शेख हसीना के आंसुओं को ‘घड़ियाली आंसू’ बता रहे हैं। लोगों ने सवाल उठाया कि प्रधानमंत्री ने प्रदर्शन में मारे गए लोगों और उनके परिवार के लिए इतना दुख नहीं जताया, जितना वे मेट्रो स्टेशन में हुए नुकसान पर जता रही हैं। उन्होंने पूछा कि शेख हसीना ने छात्रों की मौत पर आंसू क्यों नहीं बहाए।

दरअसल, बांग्लादेश में पिछले एक महीने से आरक्षण के विरोध में यूनिवर्सिटी छात्रों के द्वारा हिंसक प्रदर्शन किए जा रहे थे। इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने कई जगहों पर आगजनी और तोड़-फोड़ की थी। पुलिस के साथ हुई झड़प में 200 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी।

बांग्लादेश का सबसे आधुनिक मेट्रो स्टेशन बर्बाद हुआ
मीरपुर-10 बांग्लादेश का सबसे व्यस्त और आधुनिक मेट्रो स्टेशन था। अब इसे बंद किया जा चुका है। प्रदर्शनकारियों ने मीरपुर-10 मेट्रो स्टेशन को बुरी तरह नुकसान पहुंचाया। इसमें मेट्रो की वेंडिंग मशीन और सिग्नल कंट्रोलिंग स्टेशन को नुकसान पहुंचा है।

मेट्रो रेल के एक अधिकारी ने कहा कि ट्रेन को दोबारा शुरू करने में कितने दिन लगेंगे, यह जानने में भी कम से कम दो हफ्ते लग जाएंगे। रेलवे पर सुरक्षा इंतजामों का पूरी टेस्टिंग होने के बाद ही पहले की तरह मेट्रो व्यवस्था शुरू होगी।

विपक्षियों ने कार्टून बनाकर शेख हसीना पर दिखावे के लिए आंसू बहाने का आरोप लगाया है

विपक्षियों ने कार्टून बनाकर शेख हसीना पर दिखावे के लिए आंसू बहाने का आरोप लगाया है

नौकरियों में आरक्षण के विरोध में सड़क पर उतरे थे प्रदर्शनकारी
बांग्लादेश की सरकार ने 2018 में अलग-अलग कैटेगरी को मिलने वाला 56% आरक्षण खत्म कर दिया था, लेकिन इस साल 5 जून को वहां के हाईकोर्ट ने सरकार के फैसले को पलटते हुए दोबारा आरक्षण लागू कर दिया था। इसके बाद से ही बांग्लादेश में हिंसा का दौर शुरू हो गया। न्यूज एजेंसी AFP की रिपोर्ट के मुताबिक हिंसा में अब तक 200 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं।

हालात बिगड़ने के बाद सरकार ने पूरे देश में कर्फ्यू लगाते हुए प्रदर्शनकारियों को देखते ही गोली मारने के आदेश दिए थे। हालात संभालने के लिए पुलिस की जगह सेना तैनात की गई थी।

सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण में बदलाव किया
बांग्लादेश के सुप्रीम कोर्ट ने 21 जुलाई को सरकारी नौकरियों में 56% आरक्षण देने के ढाका हाईकोर्ट के फैसले को पलट दिया। कोर्ट ने रविवार को आदेश जारी करते हुए आरक्षण को 56% से घटाकर 7% कर दिया। इसमें से स्वतंत्रता सेनानियों के परिवार वालों को 5% आरक्षण मिलेगा जो पहले 30% था। बाकी 2% में एथनिक माइनॉरिटी, ट्रांसजेंडर और दिव्यांग शामिल होंगे। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 93% नौकरियां मेरिट के आधार पर मिलेंगी।

बांग्लादेश में कैसी थी आरक्षण की व्यवस्था
बांग्लादेश 1971 में आजाद हुआ था। बांग्लादेशी अखबार द डेली स्टार की रिपोर्ट के मुताबिक इसी साल से वहां पर 80 फीसदी कोटा सिस्टम लागू हुआ। इसमें स्वतंत्रता सेनानियों के बच्चों को नौकरी में 30%, पिछड़े जिलों के लिए 40%, महिलाओं के लिए 10% आरक्षण दिया गया। सामान्य छात्रों के लिए सिर्फ 20% सीटें रखी गईं।

1976 में पिछड़े जिलों के लिए आरक्षण को 20% कर दिया गया। इससे सामान्य छात्रों को 40% सीटें हो गईं। 1985 में पिछड़े जिलों का आरक्षण और घटा कर 10% कर दिया गया और अल्पसंख्यकों के लिए 5% कोटा जोड़ा गया। इससे सामान्य छात्रों के लिए 45% सीटें हो गईं।

शुरू में स्वतंत्रता सेनानियों के बेटे-बेटियों को ही आरक्षण मिलता था, लेकिन 2009 से इसमें पोते-पोतियों को भी जोड़ दिया गया। 2012 विकलांग छात्रों के लिए भी 1% कोटा जोड़ दिया गया। इससे कुल कोटा 56% हो गया।



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