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कनाडाई संसद में 18 जून को स्पीकर ग्रेग फर्गस ने शोक संदेश पढ़ा था।
कनाडा की संसद में मंगलवार (18 जून) को खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के एक साल पूरे होने पर उसे श्रद्धांजलि दी गई थी। इसके लिए संसद में एक मिनट का मौन रखा गया था। अब भारत ने इसे लेकर आपत्ति जताई है।
विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार को एक साप्ताहिक प्रेस ब्रीफ में कहा कि भारत राजनीति में कट्टरता के लिए जगह तैयार करने और हिंसा की वकालत करने वाले हर कदम का विरोध करता है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा ‘’हमने लगातार इस बात पर जोर दिया है कि खालिस्तानी गतिविधियां हमारे लिए गंभीर चिंता का विषय हैं। हम बार-बार कनाडा सरकार से कार्रवाई करने की बात कर रहे हैं।’ प्रवक्ता जायसवाल ने कहा कि कनाडा में चरमपंथियों को राजनीतिक छूट दी गई है। ऐसे लोगों पर सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए।
कनाडा की संसद में 18 जून को निज्जर के लिए एक मिनट का मौन रखा गया।
PM ट्रूडो ने निज्जर की हत्या का भारत पर लगाया था आरोप
दरअसल, 18 जून 2023 की शाम को कनाडा के सरे शहर के एक गुरुद्वारे से निकलते समय निज्जर की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। कनाडा के प्रधानमंत्री ट्रूडो ने पिछले साल 18 सितंबर को भारत सरकार पर निज्जर की हत्या में शामिल होने का आरोप लगाया था, जिसे भारत ने खारिज किया था।
निज्जर हत्याकांड में अब तक 4 आरोपी गिरफ्तार
मामले में एक्शन लेते हुए कनाडा की ट्रूडो सरकार ने भारत के एक सीनियर डिप्लोमैट को देश से निकाल दिया था। पिछले महीने कनाडा ने निज्जर हत्याकांड मामले में 4 भारतीय नागरिकों को गिरफ्तार किया था। एडमॉन्टन में रहने वाले 22 साल के करण ब्रार, 22 साल के कमलप्रीत सिंह और 28 साल के करणप्रीत सिंह पर फर्स्ट-डिग्री हत्या और हत्या की साजिश रचने के आरोप में लगे थे। इसके बाद एक और भारतीय अमनदीप सिंह को कनाडाई अधिकारियों ने कुछ दिन बाद गिरफ्तार कर लिया था।
पुलिस ने कहा था कि आरोपियों के नाम करण ब्रार, करणप्रीत सिंह और कमलप्रीत सिंह हैं। तीनों की उम्र 20-30 साल के बीच है।
‘कनाडा उन लोगों को वीजा देता है जो भारत में वांटेड’
निज्जर मामले में गिरफ्तारियों के बाद विदेश मंत्री एस जयशंकर ने आरोप लगाया था कि कनाडा उन लोगों को वीजा देता है जो भारत में वांटेड हैं। उन्होंने कहा था, ‘पंजाब में संगठित अपराधों से जुड़े लोगों का कनाडा में स्वागत किया जाता है।’
भारत पर आरोप लगाने के बाद कनाडा ने कहा था कि वह इससे जुड़े सबूत भी देगा, जो उसने अब तक नहीं दिए हैं। जयशंकर अलग-अलग मंचों से कई बार ट्रूडो सरकार पर खालिस्तानी आतंकियों को पनाह देने का आरोप लगाते रहे हैं। हालांकि एक महीने पहले कनाडा की विदेश मंत्री ने कहा था कि भारत निज्जर की हत्या की जांच में सहयोग कर रहा है।
90 सेकेंड में दिया था वारदात को अंजाम
द वॉशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक कुछ महीनों पहले इस हत्याकांड से जुड़ा 90 सेकेंड का एक CCTV फुटेज जारी किया गया था। इसमें निज्जर ग्रे पिकअप ट्रक को पार्किंग से बाहर निकालता दिखाई दिया था।
इसके बाद हमलावर सिख गेटअप में आते हैं। उन्होंने 2 कारों से निज्जर के पिकअप ट्रक का काफी समय तक पीछा किया। फिर कुछ देर में हत्यारों की कार ट्रक के सामने आ गई। इस पर निज्जर ने ट्रक रोक दिया। इसके बाद कार से 2 लोग काली स्वेटशर्ट पहनकर बाहर निकले। उन्होंने निज्जर पर काफी देर तक गोलियां चलाईं और फिर कार में बैठकर फरार हो गए।
पुलिस को दो युवकों ने बयान भी दिए थे, जो घटना के वक्त पास ही एक ग्राउंड में खेल रहे थे। उन्होंने बताया कि आरोपियों के मुंह ढंके हुए थे। उन्होंने निज्जर पर ऑटोमेटिक वेपन से करीब 50 राउंड फायर किए और फरार हो गए। पुलिस के मुताबिक, निज्जर के शरीर में करीब 34 गोलियां लगी थीं।
खालिस्तानी हरदीप सिंह निज्जर के ट्रक पर गोलियां चलाते हुए शूटर।
कौन था हरदीप सिंह निज्जर, जिस पर पूरा बवाल मचा
- पंजाब के जालंधर जिले में एक गांव है भार सिंह पूरा। 11 अक्टूबर 1977 को यहीं पर हरदीप सिंह निज्जर का जन्म हुआ। 1984 में निज्जर सिर्फ 7 साल का था, जब देश में दो बड़ी घटनाएं हुईं…
- 1. ऑपरेशन ब्लू स्टार 2. इंदिरा गांधी की हत्या।
- इन दोनों ही घटनाओं का असर पंजाब के हर गांव में हुआ। इस समय राज्य में खालिस्तान आंदोलन चरम पर था। 12 से 15 साल के लड़के खालिस्तान आंदोलन से जुड़ रहे थे। इसी उम्र में हरदीप सिंह निज्जर भी इससे जुड़ गया।
- जल्द ही निज्जर की पहचान चरमपंथी संगठन खालिस्तान टाइगर फोर्स, यानी KTF के एक एक्टिव मेंबर के रूप में होने लगी। धीरे-धीरे वह इस संगठन का मास्टरमाइंड बन गया था। 1995 में पंजाब पुलिस पूरे राज्य में खालिस्तानी उग्रवादियों के खिलाफ ऑपरेशन चला रही थी। इस समय निज्जर की भी गिरफ्तारी हुई।
- जेल से निकलते ही वह कनाडा भागने की तैयारी में लग गया। कनाडा के अखबार टोरंटो सन की रिपोर्ट के मुताबिक 1997 में भारतीय सुरक्षा एजेंसियों के टारगेट पर आने के बाद निज्जर ने देश छोड़ दिया। 9 जून 1998 को इमिग्रेशन आवेदन में निज्जर ने अपने कनाडा पहुंचने के बारे में बताया है।
- निज्जर ने आवेदन में बताया था कि भारत में गिरफ्तारी के बाद पूछताछ के दौरान उसके साथ मारपीट हुई और उसे प्रताड़ित किया गया। इसके बाद मौका मिलते ही रवि शर्मा के नाम से एक फर्जी पासपोर्ट के सहारे वह कनाडा पहुंच गया। निज्जर के दोस्त और खालिस्तान के समर्थक गुरप्रीत सिंह पन्नू ने एक इंटरव्यू में बताया था कि शुरुआत में निज्जर के आवेदन को खारिज कर दिया गया।
- इसके ठीक 11 दिन बाद निज्जर ने कनाडा की महिला से शादी कर ली। इसके बाद उसकी पत्नी ने निज्जर के वीजा के लिए आवेदन किया। इस आवेदन में पूछा गया था कि क्या वह किसी सशस्त्र संघर्ष या हिंसा से जुड़े रहने वाले राजनीतिक, धार्मिक या सामाजिक संगठनों का हिस्सा रहा है?
- जवाब में उसकी पत्नी ने नहीं लिखा था। हालांकि इस बार भी उसके आवेदन को रिजेक्ट कर दिया गया।
- कनाडा की नागरिकता पाने के लिए निज्जर ने वहां की अदालतों का रुख किया, लेकिन 2001 में कोर्ट ने भी उसकी अपील को खारिज कर दिया। हालांकि बाद में निज्जर को नागरिकता कैसे मिली, इसकी जानकारी सार्वजनिक नहीं है।
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कनाडा का दावा- निज्जर हत्याकांड में 3 भारतीय गिरफ्तार:पुलिस बोली- भारत ने मारने का जिम्मा सौंपा था, लॉरेंस गैंग से कनेक्शन
कनाडा की पुलिस ने दावा किया है कि उसने खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के 3 आरोपियों को शुक्रवार (3 मई) को गिरफ्तार कर लिया है। कनाडाई न्यूज एजेंसी CBC की रिपोर्ट के मुताबिक, एडमंटन शहर से गिरफ्तार किए गए तीनों आरोपी भारतीय हैं…यहां पढ़े पूरी खबर
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