Gaza Ceasefire; Hamas Chief Yahya Sinwar On Civilian Death Toll | हमास चीफ सिनवार बोला- फिलिस्तीनियों की मौत हमारे लिए जरूरी: कहा- इससे देश आजाद होगा, गाजा में सीजफायर से ज्यादा बमबारी से हमें फायदा


कुछ ही क्षण पहले

  • कॉपी लिंक
तस्वीर याह्या सिनवार की है, माना जाता है कि इजराइल की जेल में बिताए 22 सालों ने उसे कट्टरपंथी बना दिया था। - Dainik Bhaskar

तस्वीर याह्या सिनवार की है, माना जाता है कि इजराइल की जेल में बिताए 22 सालों ने उसे कट्टरपंथी बना दिया था।

हमास चीफ याह्या सिनवार ने कहा है कि जंग में गाज के आम नागरिकों की मौत फिलिस्तीन की आजादी के लिए जरूरी है। अमेरिकी अखबार वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट के मुताबिक, सिनवार ने हमास के लड़ाकों और सीजफायर के लिए बिचौलियों से संपर्क रखने वाले अधिकारियों से कहा है कि वे नहीं चाहते यह जंग रुके।

सिनवार का मानना है कि युद्ध में जितने ज्यादा आम नागरिकों की मौत होगी, हमास को उतना ज्यादा फायदा मिलेगा। रिपोर्ट के मुताबिक, हमास के पॉलिटिकल लीडर इस्माइल हानिए के तीन बेटों और 4 पोतों की मौत की एयरस्ट्राइक में हुई मौत पर सिनवार ने कहा था, “लोगों की इस कुर्बानी से फिलिस्तीन को नई जिंदगी मिलेगी। इससे देश विकास और सम्मान की तरफ आगे बढ़ेगा।”

तस्वीर में हमास चीफ याह्या सिनवार संगठन के पॉलिटिकल लीडर इस्माइल हानिए के साथ।

तस्वीर में हमास चीफ याह्या सिनवार संगठन के पॉलिटिकल लीडर इस्माइल हानिए के साथ।

सिनवार बोला- हमास जंग लड़ने में सक्षम, सीजफायर की चर्चा शर्मनाक
जंग शुरू होने के बाद सिनवार की तरफ अपने साथियों को भेजे गए संदेशों में उसने कहा है कि गाजा में बमबारी उनके मकसद के लिए सकारात्मक है। उन्हें सीजफायर से वह फायदा नहीं नहीं होगा, जो गाजा पर इजराइल के हमलों से होगा। जब तक हमास के लड़ाके जंग लड़ने में सक्षम है और हमास यह लड़ाई हारा नहीं है, तब तक सीजफायर से जुड़ी बैठकें करना शर्मनाक है।

रिपोर्ट के मुताबिक, सिनवार ने पिछले हफ्ते अरब में मौजूद मीडिएटर्स ने कहा था कि हमास किसी भी कीमत पर परमानेंट सीजफायर की अपनी मांग से पीछे नहीं हटेगा। साथ ही वह हथियार सरेंडर करने के प्रस्ताव पर कभी राजी नहीं होगा।

सिनवार ने अल्जीरिया की आजादी की जंग से की फिलिस्तीनियों की मौत की तुलना
दरअसल, पिछले कुछ समय से हमास पर आरोप लगे हैं कि उसने जंग के 8 महीनों के दौरान जानबूझकर अपने लोगों को नुकसान पहुंचाया है। अब याह्या सिनवार के इन बयानों से ऐसे आरोपों को बल मिला है। सिनवार के एक मैसेज के मुताबिक, गाजा की लीडरशिप से बात करते वक्त सिनवार ने फिलिस्तीनियों की मौत की तुलना अल्जीरिया की आजादी की जंग से की थी।

सिनवार ने कहा था कि यह देश के लिए जरूरी बलिदान है। 1954-1962 तक चले अल्जीरिया की आजादी की जंग में 15 लाख से ज्यादा अल्जीरियाई नागरिकों की मौत हुई थई। वहीं फ्रांस के आंकड़ों के मुताबिक, दोनों पक्षों के करीब 4 लाख लोगों ने अपनी जान गंवाई थी।

गाजा पर इजराइल के हमलों में अब तक 37 हजार से ज्यादा फिलिस्तीनियों की मौत हुई है।

गाजा पर इजराइल के हमलों में अब तक 37 हजार से ज्यादा फिलिस्तीनियों की मौत हुई है।

‘फिलिस्तीनियों को ढाल बना रहा हमास, अब तक 15 हजार लड़ाकों की मौत’
गाजा पर बढ़ते हमलों के बीच इजराइल को लगातार अंतरराष्ट्रीय समुदाय की तरफ से आलोचनाओं का सामना करना पड़ा है। इजराइल पर आरोप लगे हैं कि वह हमास पर अटैक के बीच गाजा में आम नागरिकों के जीवन की रक्षा के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठा रहा है। साथ ही गाजा में मानवीय सहायता को भी पहुंचने नहीं दिया जा रहा है।

वहीं इजराइल ने लगातार इन आरोपों से इनकार किया है। इजराइल ने हमास पर आरोप लगाया है कि वह जानबूझकर फिलिस्तीनियों को ढाल की तरह इस्तेमाल कर रहा है, जिससे आम नागरिकों की मौत के आंकड़े बढ़ रहे हैं। टाइम्स ऑफ इजराइल के मुताबिक, इजराइल ने दावा किया है कि वह पिछले 8 महीने में 16 हजार हमास लड़कों को मार चुका है।

पिछले साल 7 अक्टूबर को शुरू हुई इजराइल और हमास की जंग को 8 महीने से ज्यादा समय बीत चुका है। इस बीच गाजा में 37 हजार से ज्यादा फिलिस्तीनियों की मौत हुई है। वहीं 7 अक्टूबर को हमास के हमले में 1139 इजराइलियों ने जान गंवाई थी।

गाजा के शिविरों से निकलकर हमास का लीडर बना याह्या सिनवार
याह्या सिनवार, गाजा में हमास की सियासी विंग के लीडर हैं। वो इजराइल के मोस्ट वॉन्टेड लोगों में से एक हैं। याह्या सिनवार, इस्माइल हानिया के बाद हमास के दूसरे नंबर के नेता माने जाते हैं। 61 बरस के याह्या सिनवार को लोग अबु इब्राहिम के नाम से भी जानते हैं। उनका जन्म गाजा पट्टी के दक्षिणी इलाके में स्थित खान यूनिस के शरणार्थी शिविर में हुआ था।

याह्या के मां-बाप अश्केलॉन के थे, लेकिन, जब 1948 में इसराइल की स्थापना की गई, और हज़ारों फलस्तीनियों को उनके पुश्तैनी घरों से निकाल दिया गया, तो याह्या के माता-पिता भी शरणार्थी बन गए थे। फलस्तीनी उसे ‘अल-नकबा’ यानी तबाही का दिन कहते हैं।

BBC के मुताबिक याह्या सिनवार को पहली बार इसराइल ने 1982 में गिरफ़्तार किया था। उस समय उसकी उम्र 19 साल थी। याह्या पर ‘इस्लामी गतिविधियों’ में शामिल होने का इल्जाम था। 1985 में उसे दोबारा गिरफ्तार किया गया।

लगभग इसी दौरान, याह्या ने हमास के संस्थापक शेख अहमद यासीन का भरोसा जीत लिया। 1987 में हमास की स्थापना के दो साल बाद, याह्या ने इसके बेहद खतरनाक कहे जाने वाले अंदरूनी सुरक्षा संगठन, अल-मज्द की स्थापना की। तब सिनवार 25 साल का था।

खबरें और भी हैं…



Disclaimer:* The following news is sourced directly from our news feed, and we do not exert control over its content. We cannot be held responsible for the accuracy or validity of any information presented in this news article.

Source link

Author

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *